Bhai Dooj 2023: कब है भाई दूज 14 या 15 नवंबर? जानें, तिलक करने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, कौन सी गलती न करें

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Bhai Dooj 2023

भाई दूज 2023: हिन्दू धर्म और पंचांग के अनुसार, भाई दूज का पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है. इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाता है. बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है. इस दिन भाई अपनी प्यारी बहना के लिए तोहफे भी साथ ले जाते हैं. यम द्वितीया के नाम से भी भाई दूज को जाना जाता है. चलिए जानते हैं इस साल भाई दूज कब मनाया जाएगा? भाई दूज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और तिलक लगाने का मुहूर्त, नियम आदि के बारे में विस्तार से.

भाई दूज 2023 कब है?

ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस वर्ष 14 नवंबर यानी मंगलवार को दोपहर के समय 2 बजकर 36 मिनट पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत होगी. यह तिथि अगले दिन यानी 15 नवंबर को दिन में 1 बजकर 47 मिनट तक मान्य रहेगी. इस तरह से उदयातिथि के अनुसार, भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को सेलिब्रेट किया जाएगा.

भाई दूज पर कब लगाएं तिलक?

14 तारीख को दिन में 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 19 मिनट के बीच आप भाई दूज में भाई को तिलक लगाना शुभ रहेगा. वहीं, 15 नवंबर को आप भाई दूज मना रही हैं तो भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त है सुबह 10:40 से लेकर 12 बजे तक. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज पर्व का संबंध मृत्यु के देवता यमराज से है, इसलिए इसे यम द्वितीया कहा जाता है.

भाई दूज का महत्व:

भाई दूज त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन, प्रेम और विश्वास का महत्वपूर्ण रूप से प्रतिष्ठान है। इस दिन को भाई-बहन के प्यार और समर्पण का पर्व माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यदि बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है, तो भाई को अकाल मृत्यु से मुक्ति प्राप्त होती है। इसके साथ ही बहनें अपने भाइयों के सुख, समृद्धि, खुशहाल जीवन, और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

भाई दूज का पर्व देवता यमराज और यमुना मां के संबंध से भी जुड़ा हुआ है। इन दोनों भाई-बहनों के बीच में अत्यंत प्रेम था। एक बार जब यमराज अपनी बहन से मिलने गए, तो यमुना ने उन्हें तिलक लगाया, पकवान बनाया, और नारियल भेंट में दिया। यमराज ने यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा, तो यमुना ने कहा कि प्रत्येक वर्ष वे उनसे मिलने जरूर आएं। इस प्रेरणा से भाई दूज का आयोजन हुआ और इस दिन का महत्व बढ़ा।

भाई दूज के इस अद्वितीय मौके पर, भाई-बहन एक दूसरे के साथ अपने प्रेम और समर्पण को मनाते हैं और एक दूसरे को विशेष तोहफे देते हैं। यह त्योहार परिवार के बीच आपसी बंधन को मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

भाई दूज पूजा विधि:

इस दिन बहनें पूजा की थाली सजाती हैं। वे अपने भाई को तिलक लगाती हैं और आरती करती हैं। थाली में फल, फूल, मिठाई, कुमकुम, चंदन, रोली, सुपारी, आदि सामग्री रखी जाती है। चावल के आटे से चौक बनाकर वहां अपने भाई का बिठाएं। उसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर भाई का तिलक करें। माथे पर तिलक और चावल लगाएं। मिठाई खिलाएं। इसके बाद उसे फूल, सुपारी, काले चने, बताशे, सूखा नारियल आदि चीजें दें। फिर अंत में आरती करें। इसके बाद भाई अपनी बहनों को तोहफा देकर हमेशा उसकी रक्षा करने का वजन देते हैं।

भाई दूज पर भूलकर भी ना करें ये गलतियां (Bhai Dooj dos and don’ts in hindi): – इस दिन आपस में लड़ाई-झगड़े ना करें। – एक-दूसरे से झूठ ना बोलें। – भाई जो भी तोहफा लाए उसे प्यार से स्वीकार करें। उस गिफ्ट का अपमान ना करें। – तोहफे को लेकर भाई को बुरा-भला ना कहें, ऐसा करना अशुभ होता है। – इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें, ये भी अशुभ होता है। -भाई दूज के दिन बहनें तिलक किए बिना कुछ खाने की भूल ना करें। – तिलक करने के लिए गलत दिशा की तरफ मुंह करके ना बैठें। – बहन पूर्व दिशा तो भाई उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके ही बैठें।

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